हनुमान जी का मुष्टि - प्रहार
हनुमान जी का मुष्टि - प्रहार
हनुमान जी लात, लान्गुल और मुक्का - तीनो से प्रहार करते है, इनके तीनो अंगो का बल अद्वित्य तथा अमोघ है, फिर भी इनके मुक्के का प्रहार विशेष सबल और अचूक है, लंका के तीनो विशिष्ट वीर - रावण , कुम्भकर्ण तथा मेघनाद इनके एक - एक मुष्टि - प्रहार भी सहन नहीं कर सके, परिणामत: तीनो मूर्छित हए , इनके क्रमश: उदहारण लीजिये
प्रचण्ड - शक्ति - प्रयोग द्वारा मूर्छित लक्ष्मण जी को जब रावण उठाने लगा, तब वे उससे उठ ना सके, इतने में ही हनुमान जे ने देख लिए और
दोहा :
देखि पवनसुत धायउ बोलत बचन कठोर।
आवत कपिहि हन्यो तेहिं मुष्टि प्रहार प्रघोर॥83॥
यह देखकर पवनपुत्र हनुमान्जी कठोर वचन बोलते हुए दौड़े। हनुमान्जी के आते ही रावण ने उन पर अत्यंत भयंकर घूँसे का प्रहार किया॥
रावण का मुष्टि प्रहार प्रघोर था, फिर भी वह हमारे हनुमान जी को गिरा नहीं सका, इधर हनुमान जी के मुष्टि प्रहार से रावण चारो खाने चित्त हो गया वह विश्वविजयी रावण , रावण मूर्छित पड़ा रहा और हनुमान जी उसकी मूर्छा निर्वर्ती की प्रतीक्षा करते रहे, किन्तु वाह रे मुष्टि -प्रहार का परभाव.. होश में आते ही रावण से रहा ना गया और वह मुक्त-कंठ से हनुमान जी के विपुल बल की सराहना करने लगा.
अब पवन -नंदन के मुक्के से कुम्भकर्ण की मूर्छा का प्रसंग देखिये
कुम्भकर्ण कोटि -कोटि गिरी -शिखर - प्रहार को सहता हुए भी युद्ध में निर्बाध बढ़ता जा रहा था, वह पवनात्म्जा का मुक्का लगते ही व्याकुल होकर धरती पर ढेर हो गया और लगा सिर पीटने . जो कार्य असंख्य योद्धाओ -द्वारा कोटि - कोटि गिरी-शिखर-प्रहार करने से भी ना हो सका, वह वायुपुत्र के एक मुक्के की मार से तुरंत सम्पन्न हो गया, धन्य है वायुकुमार और धन्य है उनका यह मुष्टि -प्रहार! कुम्भकर्ण ने भी रावण को समझाते हुए हनुमान जी के बल की प्रशंसा जी खोलकर की
और मेघनाद तो अशोक - वाटिका के युद्ध में ही हनुमान जे के मुक्के से मूर्छित हो चूका था. , हनुमान के मुक्के का मर्म जान लेने के बाद मेघनाद अपने आपको उनके सामने सदा पराजित अनुभव करता था, हनुमान जी के बार बार ललकारने पर भी वह उनके निकट नहीं आता था, बल्कि बड़ी सावधानी के साथ उनसे बचकर भाग जाता था.
यह है अतुलितबलधाम हनुमान जी के मुष्टि - प्रहार का अनोखा चमत्कार और सदैव ही अभिनंदनीय है, श्री पवन - नंदन का यह अतुलित बल
Sanjay Mehta
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