"माँ "
शरणागत को है बचाते सभी,
फिर कैसे हमे तुम मारोगी माँ !
हम छोड़ेंगे पैर तुम्हारा नहीं,
कबलों न दया उर धारोगी माँ !!
जब तेरे भरोसे पड़े है यहाँ ,
तब कैसे हमें ना उबारोगी माँ !
'माँ' हमें तो भरोसा यही,
है, कभी-न-कभी तुम तारोगी माँ !!
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Sanjay Mehta
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