किसी को दंड से और किसी को अनुग्रह से --- यों भगवान् इस ब्रह्मांड को वशीभूत किये है. किन्तु भगवन की उस निग्रह शक्ति को हे लक्ष्मी जी …. आपकी दया रोक देती है, अर्थात हरि भले ही दंड देना चाहे, किन्तु यदि आप किसी पर प्रसन्न हो गयी तो फिर हरि की वः निग्रह शक्ति उस पर नहीं चलती
माँ आप कितनी दयावान है, भगवान की दया किसी पर भी हो, यह बात तो निश्चित है माँ वह आपके अधीन है. क्युकी हम देखते है, आपकी दयादृष्टि की बिना श्री राम ने निरपराध बाली को भी मारा दिया था क्यों की उस समय माँ आप साथ नहीं थी . . अवध्य एक स्त्री (ताड़का) तक को मारा था.क्युकि आप तब भी साथ नहीं थी . किन्तु आप जिस समय मैजूद थी और रक्षा के लिए आपका इशारा हो चूका था, उस समय अत्यंत अपराधी भी (जिसने आपके शरीर तक को व्यथा पहुंचाई थी) वह काक (जयंत) छोड़ दिया गया था , आप दयामयी है, करुणामयी है, आप को शत शत नमन माँ
जय सीता मैया जय माता दी
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Sanjay Mehta
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