लक्ष्मी जी बहुत पतिव्रता है, अकेली किसी के घर नहीं जाती है और जाती भी है तो उल्लू पर बैठकर जाती है और रुलाती है, जिसके घर पर लक्ष्मी जी , नारायण के साथ पधारती है, उसे बहुत शान्ति देती है, माता जी से कहिये -- माता! आप अकेली नहीं पर नारायण के साथ पधारिये. जो नारायण को पाते है, लक्ष्मी जी उनके घर गरुड़ पर बैठकर बिना निमन्त्रण को पधारती है, लक्ष्मी जी जिसके घर गरुड़ पर बैठकर जाती है, उसे बहुत शान्ति मिलती है
जय माता दी जी
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें