सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

दुर्गा स्तुति पहला अध्याय (चमन जी ) : durga stuti first chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana










वन्दे गौरी गणपति शंकर और हनुमान
राम नाम प्रभाव से है सब का कल्याण
गुरुदेव के चरणों की रज मस्तक पे लगाऊ
शारदा माता की कृपा लेखनी का वर पाऊ
नमो नारायण दास  जी विप्रन  कुल श्रृंगार
पूज्य पिता की कृपा से उपजे शुद्ध विचार
वन्दु   संत समाज को वंदु भगतन भेख
जिनकी संगत से हुए उलटे सीधे लेख
आदि शक्ति की वंदना करके शीश नवाऊ
सप्तशती के पाठ की भाषा सरल बनाऊ
क्षमा करे विद्वान सब जान मुझे अनजान
चरणों की रज चाहता बालक 'संजय' 'चमन' नादान



घर घर दुर्गा पाठ का हो जाए प्रचार
आदि शक्ति की भक्ति  से होगा बेडा पार
कलयुग कपट कियो निज डेरा, कर्मो के वश कष्ट घनेरा

चिंता अग्न मे निस दिन जरहि
प्रभु का सिमरन कबहू ना करही
यह स्तुति लिखी तिनके कारण
दुःख नाशक और कष्ट निवारण
मारकंडे ऋषि करे बखाना
संत सुनाई लावे निज ध्यान
स्वोर्चित नामक मन्वन्तर मे
सुरत नामी राजा जग भर मे

राज करत  जब पड़ी लड़ाई, युद्ध मे मरी सभी कटकाई
राजा प्राण लिए तब भागा , राज कोष परिवार त्यागा  

सुनी खबर अति भओ उदासा , राजपाठ से हुआ निराशा
भटकत आयो इकबन माहि , मेधा मुनि के आश्रम जाहि
मेधा मुनि का आश्रम था कल्याण निवास
रहने लगा सुरत वह बन संतन का दस
इक दिन आया राजा को अपने राज्य का ध्यान
चुपके आश्रम से निकला पह्चा बन मे आन
मन मे शोक अति पूजाए, निज नैन से नीर बहाए
पुरममता अति ही दुःख लागा, अपने आपको जान  अभागा..
मन मे राजन करे विचार, कर्मन वश पायो दुःख भारा
रहे न नौकर आज्ञाकारी, गई राजधानी भी सारी
विधान्मोहे भओ विपरीत, निष् दिन रहू विपन भेय्भीता
सोचत सोच रह्यो भुआला, आयो वैश्य एक्तेही काला
तिनराजा  को कीं प्रणाम , वैश्य समाधि कह्यो निज नाम
राजा कहे समाधि से कारन दो बतलायो
दुखी हुए मन मलीन से क्यों इस वन मे आये
आह भरी उस वश्य ने बोला हो बेचैन
सुमरिन क्र निज दुःख का भर आये जलनैन

वैश्य कष्ट मन का कह डाला, पुत्रो ने है घर से निकला
छीन लियो धन सम्पति मेरी , मोरी जान विपद  ने घेरी
घर से धक्के खा वन आया, नारी ने भी दगा कमाया
सम्बन्धी स्वजन सब त्यागे , दुःख पावेंगे जीव अभागे..
फिर भी मन मे धीर ना आवे, माम्तावश हर दम  कल्पावे

मेरे रिश्तेदारों ने किया नीचो का काम
फिर भी उनके बिना ना आये मुझे आराम

सुरत ने कहा मेरा भी ख्याल ऐसा
तुम्हारा हुआ माम्तावश हाल जैसा
चले दोनों दुखिया मुनि आश्रम आये
चरण सर नव कर वचन ये सुनाये
ऋषिराज कर कृपा बतलायेगा
हमे भेद जीवन का समझाइए गा

जिन्होंने हमारा निरादर किया है
हमे हर जगह ही बेआदर किया है
लिया छीन धन और सर्वस्य है जो
किया खाने तक से भी बेबस है जो
ये मन फिर भी क्यों उनको अपनाता है
उन्ही के लिए क्यों यह घबराता है
हमारा यह मोह तो छुड़ा दीजिये गा
हमे अपने चरणों मे लगा लीजिये गा

बिनती उनकी मान कर , मेधा ऋषि सुजान
उनके धीरज के लिए कहे यह आत्म ज्ञान

यह मोह ममता अति दुखदाई, सदा रहे जीवो मे समाई
पशु पक्षी नर देव गंधर्व , माम्तावश पावे दुःख सर्व
गृह सम्बन्धी पुत्र और नारी, सब ने ममता झूठी डारी
यदपि झूठ मगर ना छूटे, इसी के कारन कर्म है फूटे
ममता वश चिड़ी चोगा चुगावे, भूखी रहे बच्चो को खिलावे
ममता ने बांधे सब प्राणी, ब्राह्मण डोम ये राजा रानी
ममता ने जग को बौराया, हर प्राणी का ज्ञान भुलाया
ज्ञान बिना हर जीव दुखारी , आये सर पर विपदा भारी
तुमको ज्ञान यथार्थ नाही, तभी तो दुःख मानो मनमाही

पुत्र करे माँ बाप को लाख बार धिक्कार
मात पिता छोड़े नहीं फिर झूठा प्यार
योग निंदा इसी को ममता का है नाम
जीवो को कर रखा है इसी ने बे आराम

भगवान् विष्णु की शक्ति यह, भगतो की खातिर भगति यह
महामाया नाम धराया है . भगवती का रूप बनाया है
ज्ञानियो के मन को हरती है, प्राणियो को बेबस करती है
यह शक्ति मन भरमाती है, यह ममता मे फंसाती है
यह जिस पर कृपा करती है, उसके दुखो को हरती है
जिसको देती वरदान है यह, उसकी करती कल्याण है यह
यही ही विद्या कहलाती है , अविद्या भी बन जाती है
संसार को तारने वाली है , यह ही दुर्गा महाकाली है
सम्पूर्ण जग की मालक है , यह कुल सृष्टि की पालक  है



ऋषि ने पूछा राजा ने कारन तो बतलाओ
भगवती की उत्पति का भेद हमें समझाओ
मुनि मेधा बोले सुनो ध्यान से..
मग्न निंदा मे विष्णु भगवान थे..

थे आराम से शेष शैया पे वो
असुर मधु - कैटभ वह प्रगटे दो
श्रवण मैल से प्रभु की लेकर जन्म
लगे ब्रह्मा जी को वो करने खत्म
उन्हें देख ब्रह्मा जी घबरा गए
लखी निंद्रा प्रभु की तो चक्र गए
तभी मग्न मन ब्रह्मा स्तुति करी
की इस योग निंद्रा को त्यागो हरी
कहा शक्ति निंद्रा तू बन भगवती
तू स्वाहा तू अम्बे तू सुख सम्पति
तू सावित्री संध्या विश्व आधार तू
है उत्पति पालन व् संघार तू
तेरी रचना से ही यह संसार है
किसी ने ना पाया तेरा पार है
गदा शंख चक्र पद्म हाथ ले
तू भगतो का अपने सदा साथ दे
महामाया तब चरण ध्याऊ, तुमरी कृपा अभे पद पाऊ
ब्रह्मा विष्णु शिव उपजाए, धारण विविध शरीर कर आये
तुमरी स्तुति की ना जाए, कोई ना पार तुम्हारा पाए
मधु कैटभ मोहे मारन आये, तुम बिन शक्ति कौन बचाए..
प्रभु के नेत्र से हट जाओ, शेष शैया से इन्हें जगाओ
असुरो पर मोह ममता डालो, शरणागत को देवी बचा लो


सुन स्तुति प्रगटी महामाया, प्रभु आँखों से निकली छाया
तामसी देवी नाम धराया , ब्रह्मा खातिर प्रभु जगाया
योग निंद्रा के हटते ही प्रभु उगाड़े नैन
मधु कैटभ को देखकर बोलो क्रोधित बैन
ब्रह्मा मेरा अंश है मार सके ना कोय
मुझ से बल अजमाने को लड़ देखो तुम दोए
प्रभु गदा लेकर उठे करने दैत्य संघार
पराक्रमी योद्धा लादे वर्ष वो पांच हजार
तभी  देवी महामाया ने दत्यो के मन भरमाये
बलवानो के ह्रदय मे दिया अभिमान जगाये
अभिमानी कहने लगे सुन विष्णु धर ध्यान
युद्ध से हम प्रसन्न है मांगो कुछ वरदान
प्रभु थे कौतक कर रहे बोले इतना हो
मेरे हाथो से मरो वचन मुझे यह दो
वचन बध्य वह राक्षस जल को देख अपार
काल से बचने के लिए कहते शब्द उच्चार
जल ही जल चहुँ और है ब्रह्मा कमल बिराज
मारना चाहते हो हमे सो सुनिए महाराज
वध कीजिए उस जगह पे जल न जहाँ दिखाये
प्रभु ने इतना सुनते ही जांघ पे लिया लिटाये..
चक्र सुदर्शन से दिए दोनों के सर काट
खुले नैन रहे दोनों के देखत प्रभु की बाट

ब्रह्मा जी की स्तुति सुन प्रगटी महामाया
पाठ पढ़े जो प्रेम से उसकी करे सहाय
शक्ति के प्रभाव का पहला यह अध्याय
'चमन' 'compose by संजय मेहता ' पाठ कारण लिखा सहजे शब्द बनाया
श्रधा भगति से करो शक्ति का गुणगान
रिद्धि सिद्धि नव निधि दे करे दाती कल्याण

मुझे तेरा ही सहारा माँ.. मुझे तेरा ही सहारा ...







24 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Scand chaoter

Krishan Kumar Tripathi ने कहा…

अति उत्तम लेख

Unknown ने कहा…

Thank you

Unknown ने कहा…

अति उत्तम

Unknown ने कहा…

Update me for next adhyay

Unknown ने कहा…

thamk u

Unknown ने कहा…

thank you

Unknown ने कहा…

Durga stuti pehla adya

Unknown ने कहा…

Very good

Unknown ने कहा…

Tqq🙏

NTechnicalGaming.com ने कहा…

Jai mata di

Unknown ने कहा…

Good thanks jai mata di

Unknown ने कहा…

Jay Mata Rani

Unknown ने कहा…

Mata Rani ki jay

Unknown ने कहा…

jai mata di🙏maa teri sada hi jai🙏🙏

Unknown ने कहा…

Vy vy good

Unknown ने कहा…

Great great

palak ai blog ने कहा…

Jai Mata Di 🙏🙏 uttam

Unknown ने कहा…

Thanku u

Unknown ने कहा…

God bless you Mr mehta


Regard
Deepak Mehta 7837971861

Unknown ने कहा…

Jai mata di

Unknown ने कहा…

Wow jai mata di

Unknown ने कहा…

Eh Kaali maa ki stuti hai

Unknown ने कहा…

Thanq sir