मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के : Chalo dar Sherawali Maiya ke swaali Ban ke: Sanjay Mehta Ludhiana








चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के
माँ ने खोले है खजाने , ख़ुशी के धन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के

उचे पर्वत पर मैया दरबार सजा कर बैठी है
भक्तो के दुःख हरने का वो बीड़ा उठा कर बैठी है

दाती माँ तैयार है कब से मनवांछित फल देने को
आशा की झोली फैला कर आये सवाली लेने को
तुम भी खोलो तो सवाली कभी द्वार मन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के


वो तो आठो हाथो मे ले कर बैठी मोती रे
अपनी लग्न ही कच्ची है तभी तो किस्मत सोती रे
उसके ध्यान मे खो कर हमने कभी भी सजदा किया नहीं
घर बैठे ही कह देते है माँ ने कुछ भी दिया नहीं
भाग्य जगदम्बे जगाती , भक्तो जन जन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के

उस के दर से हम सब को ही रोज बुलावे आते है
लेकिन कुछ ही किस्मत वाले श्री चरणों मे जाते है
पर्वत चड़ना अपनी हिमत को ही गर मंजूर नहीं
इस मे दोष हमारा है रे माँ का कोई कसूर नहीं
चढ़ते जाओ रे चडाई, सब दीवाने बन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के
माँ ने खोले है खजाने , ख़ुशी के धन के
चलो दर शेरावाली मैया के सवाली बन के







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