भगवान शंकर आशुतोष शीघ्र प्रसन्न होते है
भगवान शंकर से वरदान मांगना हो तो भक्त नरसीजी कि तरह मांगना चाहिए, नहीं तो ठगे जायेंगे. जब नरसीजी को भगवान शंकर ने दर्शन दिए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा , तब नरसीजी ने कहा कि जो चीज आपको सबसे अधिक प्रिय लगती है, वही दीजिये. भगवान शंकर ने कहा कि मेरे को कृष्ण सबसे अधिक प्रिय लगते है, अत: मै तुम्हे उनके ही पास ले चलता हु. ऐसा कहकर भगवान शंकर उनको गोलोक ले गये. तात्पर्य है कि शंकर से वरदान मांगने में अपनी बुद्धि नहीं लगानी चाहिए.
शंकर कि प्रसन्नता के लिए साधक प्रितिदीन आधी रात को (ग्यारह से दो बजे के बीच) इशानकों (उत्तर-पूर्व) कि तरफ मुख करने 'ॐ नम: शिवाय' मन्त्र कि एक सौ बीस माला जप करे. यदि गंगाजी का तट हो तो अपने चरण उनके बहते हुए जल में डालकर जप करना अधिक उत्तम है . इस तरह छ: मास करने से भगवान शंकर प्रसन्न हो जाते है और साधक को दर्शन, मुक्ति, ज्ञान दे देते है
अब बोलोइए भगवान शंकर की जय. जय मेरी माँ राज रानी की. जय मेरी माँ दुर्गे जय माँ वैष्णो रानी. जय माता दी जी
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Sanjay Mehta
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