श्री एकनाथ महाराज ने "भावार्थ रामायण" में हरि-हर को अभेद बताया है. सत्व, रज और तम - इन तीनो गुणों के तीन मालिक देव माने गुए है, सत्वगुण का रंग श्वेत है. रजोगुण का रंग लाल है, तमोगुण का रंग काला है. विष्णु भगवान सत्वगुण के मालिक है, इसलिए उनका रंग गोरा होना चाहिए, परन्तु है श्याम.. शिवजी का तमोगुण के मालिक है, इसलिए उनका श्यामवर्ण होना चाहिए , परन्तु है सफ़ेद. शिवजी गोरे और विष्णुजी काले-- ऐसा क्यों हुआ? एकनाथ महाराज जी कहते है कि विष्णु जी गोरे ही थी और शिवजी श्याम ही थे. परन्तु शिवजी सब दिन नारायण-राम राम राम राम का ध्यान करते है, वे नारायण रंग के बन गये और वे गौरे हो गये. नारायण शिवजी का ध्यान करते है उनको शिवजी का रंग आ गया और वे श्याम हो गये.
ध्यान करनेवाले में , वह जिसका ध्यान करता है उसका स्वरूप, आकृति और स्वभाव आ जाता है, शिवजी और विष्णु परस्पर एक -दुसरे का ध्यान करते है, इसलिए दोनों में अभेद है. शिवजी और विष्णु जी परस्पर प्रेम रखते है परन्तु उनके भक्त परस्पर प्रेम रखते नहीं - हरि-हर में भेद रखकर भक्ति को बिगाड़ो नहीं.. हरि हर एक ही है .
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Sanjay Mehta
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