श्री साईं बाबा का वैशिष्ट्य :
ऐसे संत अनेक है जो घर त्याग कर जंगल कि गुफाओ या झोपड़ियों में एकांत वास करते हुए अपनी मुक्ति या मोक्ष - प्राप्त का प्रयत्न करते रहते है. वे दूसरों कि किंचित मात्र भी अपेक्षा ना कर सदा ध्यानस्थ रहते है. श्री साईं बाबा इस प्रकृति के न थे. यद्यपि उनके कोई घर द्वार, स्त्री और संतान, समीपी या दूर के सम्बन्धी न थे, फिर भी वे संसार में ही रहते थे. वे केवल चार-पांच घरों से भिक्षा लेकर सदा नीमवृक्ष के नीचे निवास करते थे समस्त सांसारिक व्यवहार करते थे. इस विश्व में रहकर किस प्रकार आचरण करना चाहिए, इसकी भी वे शिक्षा देते थे. ऐसे साधू या संत प्राय: बिरले ही होते है, जो स्वयं भगवतप्राप्ति के पश्चात् लोगों के कल्याणार्थ प्रयत्न करे. श्री साईं बाबा इन सब में आग्रनी थे. इसलिए कहते है. "वह देश धन्य है , वह कुटुंब धन्य है तथा वे माता-पिता धन्य है , जहाँ साईं बाबा के रूप में यह आसाधारण परम श्रेष्ट अनमोल विशुद्ध रत्न उत्पन्न हुआ
अब बोलिए जय साईं राम जी की. जय मेरी माँ वैष्णो रानी की. जय दुर्गा रानी की. जय राज रानी की. जय माता दी जी
www.facebook.com/groups/jaimatadig
www.facebook.com/jaimatadigldh
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
♥♥ (¯*•๑۩۞۩:♥♥ ......Jai Mata Di G .... ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)♥♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
Sanjay Mehta
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें