बुधवार, 23 अप्रैल 2014

द्वारिका में द्वारिकानाथ खड़े है। डाकोर में रणछोङरायेजी खड़े है। श्रीनाथजी में गोवर्धननाथ खड़े है। पंढरपुर में विट्ठलनाथ जी खड़े है। : Sanjay Mehta Ludhiana









भगवान कहते है - जब जीव मेरे दर्शन के हेतु आता है तो मै खड़ा होकर उसे दर्शन देता हु. मै जीव से मिलने के लिए आतुर हूँ। मुझे प्रेम से मिलने के लिए जो भी आता है , उससे मिलने को मै आतुर हुँ। अपने वैष्णवो से, भक्तो से मिलने की प्रतीक्षा में मै खड़ा हूँ। मै खड़ा - खड़ा भक्तो की प्रतीक्षा करता हु , मुझसे विभक्त हुआ जीव मुझसे मिलने के लिए कब आएगा ?
द्वारिका में द्वारिकानाथ खड़े है। डाकोर में रणछोङरायेजी खड़े है।
श्रीनाथजी में गोवर्धननाथ खड़े है। पंढरपुर में विट्ठलनाथ जी खड़े है।
अब कहिये जय माता दी








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