बुधवार, 30 मार्च 2011

शिव स्तुति


शिव स्तुति

भगतो को अभेय करने वाले देवदेवेश्वर! आपको नमस्कार है... दक्ष यग विध्वंस करने वाले गोरिपते.... आपको नमस्कार है... आप ही शर्व, रुदर, भव और वर्द आदी नामो से प्रिसद्ध है.. आपको नमस्कार है... आप पशुओ (जीवो) के स्वामी, नित्य उग्र स्वरूप तथा जटाजूट धारण करनेवाले हो.. आपको नमस्कार है... आप ही महादेव, भीम और त्रियम्बकम (त्रिनेतार्धारी) कहलाते है... आपको नमस्कार हो... प्रजापालक , सबके इश्वर, अंधकासुर का वध करनेवाले भी आप ही है.. आपको नमस्कार है.. आप नीलकंठ, भीम, वेधा, ब्रह्माजी के द्वारा स्तुत, कुमार को जनाम्देनेवाले विलोहित, धूम्र, शिव, करथन, नीलशिखंड शूली, दिव्यशाई ,उग्र और त्रिनेत्र आदी नामो से प्रिसद्ध है.. आपका स्वरूप किसी के चिंतन मै नहीं आ सकता.. आप देवी पार्वती के स्वामी है... सम्पुरण देवता आपकी स्तुति करते है.. आप शरण लेने योग्य, कामना करने योग्य और स्धोजात नाम से प्रिसद्ध है.. आपको मेरा नमस्कार है.. आपकी ध्वजा वृषभ चिन्ह है.. आप मुंडित भी है और जटाधारी भी.. आप ब्रेह्म्चारिया वर्त का पालन करने वाले , तपस्वी, शांत, ब्रह्मण भगत , जयस्वरूप , विश्व के आत्मा, संसार की सृष्टि करने वाले तथा सम्पुरण विश्व को व्यापत करके स्थित है.. आपको नमस्कार है.. आप दिव्यस्वरूप, शरणागत का कष्ट दूर करनेवाले, भगतो पर सदा ही दया रखनेवाले तथा विश्व तेज़ और मन मै व्याप्त रहनेवाले है.. आप को मेरा बारम्बार नमस्कार है.. Sanjay Mehta

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