मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

शेर पे सवार मेरी शेरा वाली माँ

शेर पे सवार मेरी शेरा वाली माँ पहाडो मे बसी मेरी मेहरा वाली माँ रूप है तेरे कई ज्योत वाली माँ नाम है तेरे कई लाटा वाली मा जगजननी है मेरी भोली भाली मा मेरे नैनों की प्यास बुझा दे , मात मुझे दर्शन दे अपने चरणों का दास बना ले , मात मुझे दर्शन दे शेर पे सवार.... दयालु तू है माँ, क्षमा कर देती है सभी कष्टों को माँ, तू हर लेती है जैकारा शेरा वाली दा, बोल साचे दरबार की जय तू ही जगजननी है, तू ही जगपालक है चराचर की मैया, तू ही संचालक है अपनी ज्योत मे मुझको समाले, मात मुझे दर्शन दे मेरे नैनो की प्यास बुझा दे, मात मुझे दर्शन दे शेर पे सवार.... दूर अब तुझसे माँ, मे ना रह पाउँगा... प्यास तेरे दर्शन की माँ... अब ना सह पाउँगा... जैकारा शेरवा वाली दा... बोल सांचे दरबार की जय आसरा एक तेरा, बाकी सब सपना है तेरे बिन है मैया कोई ना अपना है मेरे पैरो मे पड़ गए छाले.. अब तो मुझे दर्शन दे मात मुझे दर्शन दे मेरे नैनो की प्यास बुझा दे.. मात मुझे दर्शन दे अपने चरणों का दास बना ले .. मात मुझे दर्शन दे शेर पे सवार .... संजय मेहता

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