गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

साई के उजालो,


साई के उजालो, मेरे साई के उजालो . आँखों में सिमट आओ अंधेरो को निकालो .. महफ़िल में तेरी आये तो हम एक हुए हैं . रस्ते पे तेरे चल के सभी नेक हुए हैं . हर पग पे सम्भाला है तो आगे भी संभालो .. साई के उजालो ............. बरसों से तुम्हें दिल की नज़र से ढूंढ़ रही है . जिस घर में छिपे हो वो ही घर ढूंढ़ रही है . परदों से निकलकर मुझे आँचल में छिपालो .. साई के उजालो ............. दुनिया का अजब हाल है इंसान के हाथों . ऐसा तो न होगा कभी शैतान के हाथों . अब चाहो तो आकाश पे धरती को उठालो .. साई के उजालो ............. साई के उजाले मेरे साई -- Sanjay Mehta

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