शनिवार, 28 अप्रैल 2012

माँ दुर्गा जग जननी : Maa Durga By Sanjay Mehta Ludhiana










माँ दुर्गा जग जननी है. करुना की मूर्ति माँ अपनी संतानों के दुःख से दुखी हो, उन्हें सताने वालो के लिए करालवदना महाकाली बन जाती है

शक्तिरूप है माँ, सभी देवो की शक्तियों का समदृष्टि रूप है, जगदम्बा!! इस लिए इनकी आराधना - उपासना का अर्थ है सभी देवो की पूजा करना, ये प्रसन्न हो , तो मानो सभी देव प्रसन्न हो गए. इनके बिना शिव शव है , भले ही शिव सर्व्शाक्तिस्म्पन्न हो, लेकिन इनके बिना वे निरीह है. किसी ने सच कहा है . माँ बन सकती है पिता, जबकि पिता कभी भी माता नहीं बन सकता

शंकराचार्य ने अद्वैत ब्रह्म का प्रतिपादन किया . वहा ना पाप है ना ही पुण्य, लेकिन माँ के लिए उन्हों ने कहा ' हे माँ तुम्हारे समान कोई पापो को हरनेवाली नहीं है और मेरे समान कोई पातकी नहीं , उन्हें पूर्ण विश्वास है माँ की करुना पर तभी तो वे कहते है -- पूत कपूत हो सकता है, लेकिन माता कभी भी कुमाता नहीं होती

शक्ति के रूप में उपासना करनेवाले को उपासना के नियमो - उपनियमो का पालन करना होता है, जब कि जो माँ के रूप में इसकी अराधना करता है, उसके लिए सब क्षम्य है. माँ उसकी समस्त कामनाओं को सहज में पूरा कर देती है. सिर्फ 'माँ' इस महामंत्र का जप ही भक्ति-मुक्ति दाता है.

लोगो ने माँ के उग्र रूपों कि आरधना करने कि विधिया बताई है. लेकिन वे कठिन है. सही मार्गदर्शन न मिलने पर भटकने का खतरा ज्यादा है. उनमे..... सबसे श्रेष्ठ है जगजननी के माँ के रूप में अराधना
अब कहे जय माता दी
जय हो माँ वैष्णो देवी की
जय मेरी माँ राज रानी की










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