बुधवार, 18 अप्रैल 2012

लक्ष्मी माँ की स्तुति : Lakshmi Maa Ki Stuti By Sanjay Mehta Ludhiana


 विश्व का पालन और संहार उनके नेत्रों के खुलने और बंद होने से ही हुआ करता है. वे महालक्ष्मी सबकी आदिभूता , त्रिगुणमयी और परमेश्वरी है. व्यक्त और अव्यक्त उनके दो रूप है, वे उन दोनों रूपों से सम्पूर्ण विश्व को व्याप्त करके स्थित है. जल आदि रस के रूप से वे ही लीलामय देह धारण करके प्रकट होती है. लक्ष्मी रूप में आकर वे धन प्रदान करने की अधिकारिणी होती है, ऐसे स्वरूपवाली लक्ष्मी देवी श्री हरी के आश्रय में रहती है. सम्पूर्ण वेद तथा उनके द्वारा जानने योग्य जितनी वस्तुए है, वे सब श्री लक्ष्मी के ही स्वरूप है, स्त्री रूप में जो कुछ भी उपलब्ध होता है, वह सब लक्ष्मी का ही विग्रह कहलाता है, स्त्रियों में जो सौन्दर्य, शील, सदाचार और सौभाग्य स्थित है, वह सब लक्ष्मी का रूप है, भगवती लक्ष्मी समस्त स्त्रियों की शिरोमणि है, जिनकी कृपा - कटाक्ष पड़ने मात्र से ब्रह्मा , शिव, देवराज इन्दर, चंद्रमा, सूर्य , कुबेर, यमराज तथा अग्निदेव प्रचुर एश्वर्या प्राप्त करते है.

उनके नाम इस प्रकार है. लक्ष्मी, श्री, कमला, विद्या , माता, विष्णुप्रिया , सती , पद्मालया , पद्महस्ता , पद्माक्षी , पद्म्सुन्दरी, भुतेश्वरी , महादेवी, क्षीरोद्त्न्य (क्षीरसागर की कन्या) , रमा, अनंत्लोक्नाभी (अनंत लोको की उत्पत्ति का केन्द्रस्थान ), भू, लीला, सर्वसुखप्रदा , रुकमनी, सर्ववेदवती , सरस्वती, गौरी, शांति, स्वाहा, स्वधा, रति, नारायणवरारोहा , (श्री विष्णु की सुंदर पत्नी) तथा विष्णोनिर्त्यानुपायिनी (सदा श्री विष्णु के समीप रहनेवाली) . जो प्रात:कल उठकर इन सम्पूर्ण नामो का पाठ करता है, उसे बहुत बड़ी सम्पति तथा विशुद्ध धन-धान्य की प्राप्ति होती है

'जिनके श्रीअंगो का रंग सुवर्ण के समान सुंदर एवम गौर है, जो सोने-चांदी के हारो से सुशोभित और सबको आन्दित करनेवाली है, भगवान श्री विष्णु से जीना कभी वियोग नहीं होता, जो स्वर्णमयी कान्ति धारण करती है, उत्तम लक्षणों से विभूषित होने के कारन जिनका नाम लक्ष्मी है, जो सब प्रकार की सुगंधों का द्वार है, जिनको परास्त करना कठिन है, जो सदा सब अंगो से पुष्ट रहती है. गाये के सूखे गोबर में जिनका निवास है, तथा जो समस्त प्राणियों की अधीश्वरी है, उन भगवती श्रीदेवी का मै संजय मेहता यहाँ आवाहन करता हु

जय माता दी जी
जय लक्ष्मी माता जी की
जय माँ वैष्णो देवी की
जय माँ राज रानी की
जय जय जय

कोई टिप्पणी नहीं: