मंदिर में भगवान के दर्शन करो. ठाकुर जी के सन्मुख खड़े होकर ऐसी भावना करो के ये मूर्ति नहीं, साक्षात भगवान विराजे है. अपने परमात्मा के दर्शन कर रहा हु, अपने मालिक की मै वंदना कर रहा हु. ठाकुर जी की आँखों में प्रेम भरा हुआ है. ठाकुर जी मुझे प्रेम से देख रहे है, मुझे देखकर मेरे भगवान (होंठो) में धीरे- धीरे हंस रहे है. आज मेरे मालिक बहुत प्रसन्न दिखलाई देते है , अब मै भगवान का हो गया हु, मै वैष्णव हो गया हु, मेरे भगवान की मेरे उपर बहुत कृपा हुई, जिससे मै सब छोड़कर रामकथा - श्रवण करने बैठ सका हु, आज मेरे प्रभु ने मुझे यह सुयोग दिया है, मेरे प्रभु के मेरे उपर अनंत उपकार है. इस रीति से परमात्मा के उपकारों का स्मरण करते - करते दर्शन करो. दर्शन करने मे भगवान के प्रति ह्रदय थोडा पिघले , आँख सजल होवे तो दर्शन मे आनंद आवे
बोलिए जय माता दी जी
जय श्री राधे
जय श्री ठाकुर जी
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