शुक्रवार, 2 मार्च 2012

दुर्गा स्तुति छटा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti sixth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana







दुर्गा स्तुति छटा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti sixth chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana



नव दुर्गा के पाठ का छठा है यह अध्याय
जिसके पढने सुनने से जीव मुक्त हो जाए
ऋषिराज कहने लगे सुन राजन मन लाये
दूत ने आकर शुम्भ को दिया हाल बतलाये

सुन कर सब व्रतांत को हुआ क्रोध से लाल
धूम्र-लोचन सेनापति बुला लिया तत्काल
आज्ञा दी उस असुर को सेना लेकर जाओ
केशो हो तुम पकड कर, उस देवी को लाओ

पाकर आज्ञा शुम्भ की चला दैत्य बलवान
सेना साथ हजार ले जल्दी पौह्चा आन
देखा हिमालय शिखर पर बैठी जगत आधार
क्रोध से तब सेनापति बोला यु ललकार

चलो ख़ुशी से आप ही मम स्वामी के पास
नहीं तो गौरव का तेरे कर दूंगा मै नाश
सुने भवानी ने वचन बोलो तज अभिमान
देखू तो सेनापति कितना है बलवान

मै अबला तव हाथ से कैसे जान बचाऊ
बिना युद्ध पर किस तरह साथ तुम्हारे जाऊ
लड़ने को आगे बढ़ा सुन कर वचन दलेर
दुर्गा ने हुंकार से किया भस्म का ढेर

सेना तब आगे बढ़ी चले तीर पर तीर
कट कट कर गिरने लगे सिर से जुदा शरीर
माँ ने तीखे बाणों की वो वर्षा बरसाई
दैत्यों की सेना सभी गिरी भूमि पे आई

सिंह ने भी कर गर्जना लाखो दिए संहार
सीने दैत्यों के दिए निज पंजो से फाड़
लाशो के थे लग रहे रण भूमि मे ढेर
चहु तरफा था फिर रहा जगदम्बा का शेर

धूम्रलोचन और सेना के मरने का सुन हाल
दैत्य राज की क्रोध से हो गई आँखे लाल
चंड मुंड तब दैत्यों से बोला यु लकार
सेना लेकर साथ तुम जाओ हो होशियार

मारो जाकर सिंह को देवी लाओ साथ
जीती गर ना आये तो करना उसका घात
देखूंगा उस अम्बे को कितनी बलवाली
जिसने मेरी सेना यह मार सभी डाली

आज्ञा पाकर शुम्भ की चले दैत्य बलवीर
'चमन' इन्हें ले जा रही मरने को तकदीर

बोलिए जय माता दी
बोलिए जय मेरी माँ वैष्णो देवी की जय
बोलिए जय मेरी माँ राज रानी की जय