दुर्गा सप्तशती मार्कंडेय पुराण से निकली ७०० मंत्रो वाली अद्भुत पुस्तिका है, दुर्गा सप्तशती का पाठ अद्भुत फलदायी है- कवच, अर्गला, कीलक तथा तेरह अध्याय का पाठ करने वाला समस्त कष्टों से मुक्त हो कर निर्भय हो जाता है दुर्गा सप्तशती में देवी के तीनों चरित्र सत् रज एवं तम, सृष्टी स्थिति और विनाश एवं महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती का दार्शनिक एवं लौकिक विवरण उपलब्ध है ! साधक को अपने श्रद्धा, ज्ञान और क्षमता के अनुरूप श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए, जो साधक दुर्गा सप्तशती के १३ अध्यायों का परायण कर सकें उन्हें कवच, अर्गला, कीलक के पाठ के उपरान्त सभी १३ अध्यायों का पाठ करना चाहिए (ये एक श्रम साध्य प्रक्रिया है) जो नवरात्र के दिनों में रोजाना पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकता वो साधक इन पूर्ण ९ दिनों में निम्नलिखित विधि से माँ दुर्गा की पूर्ण कृपा तथा दुर्गा सप्तशती पाठ का पूर्ण फल प्राप्त कर सकता है ! प्रथम दिवस - कवच से प्रथम पाठ तक द्वितीय दिवस - द्वितीय + तृतीय पाठ तृतीय दिवस - चतुर्थ पाठ चतुर्थ दिवस - पंचम से सप्तम पाठ तक पंचम दिवस - अष्टम व नवम पाठ षष्टम दिवस - दशम पाठ सप्तम दिवस - एकादश व द्वादश पाठ अष्टम दिवस - त्रयोदश पाठ नवम दिवस - पूजन + हवन व बलि इसका पाठ करने वाला जातक निर्भय हो जाता है, तथा संपूर्ण सृष्टि में उसके तेज में वृद्धि होती है | |
मंगलवार, 20 मार्च 2012
नवरात्र पाठ विधि: Navratr Paath Vidhi. By Sanjay mehta Ludhiana
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