दुर्गा स्तुति सातवा अध्याय (चमन जी ) : durga stuti seventh chapter (chaman ji ) : sanjay mehta ludhiana चंड मुंड चतुरंग्नी सेना को ले साथ अस्त्र शास्त्र ले देवी से चले करने दो हाथ गये हिमालय पर जभी दर्शन सब ने पाए सिंह चड़ी माँ अम्बिका खड़ी वहा मुस्कुराए लिये तीर तलवार दत्य माता पे धाय दुष्टो ने शस्त्र देवी पे कई बरसाए क्रोध से अम्बा की आँखों में भरी जो लाली निकली दुर्गा के मुख से तब ही महाकाली खाल लपेटी चीते की गल मुंडन माला लिये हाथ में खप्पर और एक खड्ग विशाला लपलप करती लाल जुबा मुह से थी निकाली अति भयानक रूप से फिरती थी महाकाली अट्टहास कर गर्जी तब देत्यो में धाई मार धाड करके कीनी असुरो की सफाई पकड़ पकड़ बलवान देत्ये सब मुह में डाले पावो नीचे पीस दीए लाखो मतवाले रुन्ड़ो की माला मे काली सीस परोये कइयो ने तो प्राण ही डर के मारे खोये चंड मुंड यह नाश देख आगे बढ़ आये महाकाली ने तब अपने कई रंग दिखाए खड्ग से ही कई असुरो के टुकड़े कर दीने खप्पर भर भर लहू लगी देत्यो का पीने दोहा:-चंड मुंड का खडग से लीना सीस उतर आ गई पास भवानी के मार एक किलकार कहा काली ने दुर्गा से किये दैत्य संहार शुम्ब निशुम्भ को अपने ही हाथो देना मार तब अम्बे कहने लगी सुन काली मम बात आज से चामुंडा तेरा नाम हुआ विख्यात चंड मुंड को मार कर आई हो तुम आ आज आज से घर घर होवेगा नाम तेरे का जाप जो श्रधा विश्वास से सप्तम पढ़े अध्याय महाकाली की कृपा से संकट सब मिट जाए नव दुर्गा का पाठ यह 'चमन' करे कल्याण पढने वाला पायेगा मुह माँगा वरदान बोलिए जय माता दी जय माँ मेरी वैष्णो रानी की जय माँ मेरी राज रानी की
Jai mata di ji
Jai mata rani ki
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