दुर्गा दुर्गीती दूर कर सिंह वाहिनी माँ -२
दया दास पर कीजिए लाज है तेरे हाथ हे माता
तुम से बड़ा ना और कोई तू है शक्ति महान
ब्रह्मा विष्णु शिव शंकर तेरा लगाये ध्यान
शक्ति माँ तू एक है तेरे रूप हजार
सारे रूपों मे तुझे माँ माने यह संसार
भवन बुहारे पवन तेरा इन्दर करे छिडकाव
चाँद सूरज ज्योति करे योगिनी सेज लगाये
सारे मुनि और देवता तेरे चरणों के दास
भैरव लंगूर लाडले हर दम रहते पास
महामाया जगदम्बिके सब की पालनहार
दुर्गा परम सनातनी जग की स्र्झार
महागौरी वरदायनी मैया दया निधान
भव तारक परमेश्वर करती जग कल्याण
महसिधि महायोगिनी भगतो दुर्गा मात
असुरो की संहारिणी तेरी निराली बात
महिमा जिस की गाती है. सारे वेद पुराण
दुनिया सारी कर रही माता का गुणगान
महिषासुर एक दत्य था.. एक पापी शैतान
अपने बल पर था उसे बहुत बड़ा अभिमान
समझ सका ना माँ शक्ति वो पापी नादान
दुर्गा माँ ने मिटा दिया उसका नामो निशान
दमयंती जयवंती सावित्री सुखेश्वरी तेरा नाम
जगदम्बा जगदीश्वरी तेरे अनेको धाम
सैलसुता माँ शक्तिशाली माता लीला अपरम्पार
सब रूपों मे मानता तुमको माँ संसार
कुष्मांडा भी तुझको कहते काली नाम है काल
चन्द्रघंटा कत्यानी शिवानी दीन ध्याल
ज्योति रूप ज्वाला माँ तेरी निराली शान
अकबर से अभिमानी का तोड़ दिया अभिमान
ध्यानु भगत ने भेट दी अपना शीश उतार
दुर्गा रूप दर्शन दिया उस को किया उद्धार
अपने प्यारे भगत का तुने बढाया मान
पार उसे भव से किया तेरा लगाया ध्यान
शक्ति तेरी अज माने माँ लाया नहर खुदाए
देख तेरी लीला को मस्तक दिया झुकाया
छत्र चडाया सोने का तुम को शक्ति मान
नंगे पैर चल के आया छोड़ के सब अभिमान
शुम्ब निशुम्ब के आतंक से देवता गए घबराये
याद किया माँ दुर्गा को हम को लियो बचाए
काल रूप माँ कलिका माँ ने बनाया वेश
हाथ खडग गले मुंडमाला नेत्र लाल खुले केश
अग्नि सा तन दहकता अम्बे हुई थी लाल
शुम्ब निशुम्ब पर टूट पड़ी बन के उन का काल
देख के शक्ति माता की मच रही हाहाकार
दानव सब घबरा गए कुछ ना बसावे पार
शुम्ब निशुम्ब के शीश पर माँ की पड़ी तलवार
शीश पड़ा कट धरा पर माँ की हुई जय जय कार
देवता सारे कर रहे माता का गुणगान
आगे की महिमा सुनो कहते संजय कर naa
अन्न धनं की धाती रे भगतो अन्नपूर्ण मात
सृष्टि की पालक है यह सब पे इन की छाव
त्रिभुवन की यह स्वामिनी रक्तदन्ता तेरा नाम
योग माया गज्धामिनी इन के अनेको नाम
वन्द्यावासिनी नाम से निशदिन करे जो याद
सुख दायिनी शाकुम्बरी सब को करे आबाद
चंड मुंड को मारिनी चामुंडा कहलाये
चिंता हरे चिन्तपुरनी सब के काज बनाया
आदि कुमारी वैष्णो किया भैरव संहार
झोलिय भारती है सब की पूजे इसे संसार
त्रिकुट पर्वत पर लगा सचा माँ का दरबार
दर्शन को आते सभी माँ का पाने प्यार
काँगड़ा वाली भी तुही ब्रिजेश्वरी तेरा नाम
भगतो के दुःख हरिणी पावन तेरा धाम
नैनो से जिस के बरसे ममता अमृत धार
नैना देवी है वही उनका सचा दरबार
मनन करे जो मनसा का मन के मिटे विकार
दे उजाला प्रेम का मेटे सब अन्धकार
मनवांछित फल मिलता है बगुलामुखी के द्वारा
माँ दुर्गा तेरे रूप को माने सब संसार
शीतला शीतल करे नाम रटे जो कोई
नासे सारे क्रोध को हृदय शीतल होए
सिधेश्वरी राजेश्वरी कामख्या पार्वती
श्यामा गौरी और रुकमनी तू ही है महा सती
चंदा देवी अर्भ्दा त्रिपुर मालिनी नाम
खुलती जहा तकदीर है पावन तेरा धाम
जिस घर मे वासा करे लक्ष्मी रानी मात
उस घर मे आनंद हो सदा दिवाली रात
कैला देवी कैराली लीला अपरम्पार
जिन क पावन धाम पर हो रही जय जय कार
मंगल मई है दुर्गा माँ सब की सुने पुकार
करुना का तेरे द्वार पे सदा खुला भण्डार
हिंगलाज भेय्हारिणी रमा उमा शक्ति
मन मंदिर मे बसा के कर ले इन की भागती
तारा माँ जग तारिणी भव सागर से पार
विन्देश्वरी भुवनेश्वरी सब को बांटे प्यार
करे सवारी वृश्ब की रुद्रानी मेरी माँ
अपने आँचल की अम्बे सब को देती छा
पद्मावती मुक्तेश्वरी माता बड़ी महान
सब की करती सहाए है सब का करे कल्याण
मिले शक्ति निर्बल को जहाँ वो है माँ का धाम
काम धेनु से तुल्य है शिव शक्ति का नाम
त्रिपुर रूप्नी भगवती जिन का खजाना ज्ञान
मैया मेरी वरदानी है देती है वरदान
कामनापुरी करे कामाक्षी देती है सदा मान
याचक जिस के देवता करते है सदा ध्यान
रोहिणी और सुभद्रा दूर करे अज्ञान
छल कपट ना छोडती तोड़े है अभिमान
अष्ट भुजी मंगल करनी पावन जिस का द्वार
महारिशी संत जपते जिन को बारम्बार
मधु केट्ब और रक्तबीज का तुने किया संहार
धूम्रलोचन का वध कर के हरा भूमि का भार
दुर्गा माँ की शरण मे जो जाते रखती उन की लाज
सकल पदार्थ वो पाए बन जाए बिगरे काज
पांचो चौर उन्हें छले साफ़ रखे ना मन
माँ के चरणों मे करदे तन मन सब अर्पण
कोशिकी देवी मझधार से पार लगाये नाव
अम्बिका माँ पूजिए चल के नंगे पाँव
भैरवी देवी का करो मन से तुम वंदन
खुशिओ से महके भगतो घर आँगन
नंदनी नारायणी महादेवी कहलाये
हर संकट से मुक्त हो इन का जो ध्यान लगाये
मनमोहिनी माँ मूर्ति करती प्रेम बरसात
करुना सब पे करती है दुर्गा भोली मात
मीठी लोरी ममता की गूंजे आठो याम
अमृत बरसे वाणी मे माँ का जो आये नाम
कण कण मे माँ बसे जगह ना खाली कोई
सारे ब्रह्मांड मे जिन का उजाला होए
करुना करे करुनामई माता करुना निधान
सृष्टि की पालन हारा उन की ऊची शान
जीवन मृतु यश अपयश सब है माँ के हाथ
वो कैसे घबराएगा माँ है जिन के साथ
तेरी शरण मे आ गया यह संजय मेहता नादान
ऐसा वर मोहे दीजिये करता रहू गुणगान
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4 टिप्पणियां:
Very nice
Jai Mata Di
Bahut badiya
Bahut badiya
बहुत सुंदर हम भी लिखने वाले है माता के चरण वन्दना जय माता दी
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