कांगडा मंदिर की कथा: Kangra Mandir Ki Katha: Sanjay Mehta Ludhiana
कांगडा मंदिर की कथा
राजा सुशर्मा के नाम पर रखा गया 'सुशर्मापुर' नगर कांगडा का अति प्राचीन नाम है, जिसका उल्लेख महाभारत मे भी मिलता है . महमूद गजनवी के आक्रमण के समय इसका नाम 'नगरकोट' था ' कोट' का अर्थ है किला - अर्थान वः नगर जहा किला है . नगरकोट हुआ. .. त्रिगर्त-प्रदेश कांगडा का महाभारत - कालीन नाम है ! कांगड़ा के शाब्दिक अर्थ है कान + गढ़ अर्थान कान पर बना हुआ किला. पौराणिक कथानुसार ये कान जलंधर दैत्य का है. कथा इस प्रकार है. जलंधर नमक दैत्य का कई वर्षो तक देवताओ से घोर युद्ध हुआ . जलंधर महाम्त्य मे लिखे अनुसार ही जब विष्णु भगवन और शंकर जी कपटी माया से परस्त जलंधर दैत्य युद्ध मे जर्जरित होकर मरनासन्न हो गया तो दोनों देवताओ ने, उनकी साध्वी-पत्नी सती-वृंदा के शाप के भय से जलंधर को प्रतक्ष दर्शन देकर मन चाह वर मांगने को कहा. सती वृंदा(तुलसी) के आराध्य पति-परमेश्वर जलंधर ने दोनों देवताओ की स्तुति करके कहा - हे सर्वशक्तिमान प्रभु! यधपि आपने मुझे कपटी -माया रचकर मारा है, इस पर भी मै अति-प्रसन्न हु. आपके प्रत्यक्ष दर्शन से मुझ जैसे तामसी और अहंकारी दैत्य का उद्धार हो गया. मुझे कृपया यह वरदान दे की मेरा यह पार्थिव शरीर जहाँ जहाँ तक फैला है उने परिमाण योजन में सभी देवी - देवताओ और तीर्थो का निवास रहे, आपके श्रद्धालु एवं भगत मेरे शरीर पर स्थित इन तीर्थो मे स्नान-ध्यान-दर्शन-पूजन-दान-श्राधादी करके पुण्यलाभ प्राप्त करे. इसके पछ्चात जलंधर ने वीरासन मे स्थित होकर प्राण त्याग दिए. इसी कथा के अनुसार शिवालिक पहाडियो के बीच १२ योजन के क्षेत्र मे जलंधर पीठ फैला हुआ है. जिसकी परिक्रमा मे ६४ तीर्थ व् मंदिर पाए जाते है. इनकी प्र्दक्षिना का फल चल-धाम की यात्रा से कम नहीं है
कोट कांगड़ा मैया की भेंट
किला कांगड़ा तेरा माँ
आन मुगल ने घेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ
नगर कोट की आदि भवानी
मुगल तुर्क ने नहीं मानी
तवे जडाये नेहर मंगाई
लाया भवन पे डेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ
तवे फोड़ भईया परचंडी
मुगल भाग गए पगडण्डी
फूंक दिया सब डेरा माँ
किला कांगड़ा तेरा माँ
1 टिप्पणी:
🌺🌺🌺 Jai Mata Di 🌺🌺🌺🌺
एक टिप्पणी भेजें