रविवार, 14 दिसंबर 2014

कर्मो का कानून अटल : Sanjay Mehta Ludhiana









कर्मो का कानून अटल


रामायण में आता है की बाली ने तपस्या करके वर लिया था की जो भी लड़ने के लिए उसके सामने आये , उसका आधा बल बाली में आ जाए। इसी कारण जब भी सुग्रीव उससे लड़ाई करने जाता , पराजित होकर लौटता , श्री राम जी इस भेद को जानते थे, जब सुग्रीव बाली के खिलाफ मदद लेने उनके पास आया तो (अपना बल सुरक्षित रखने के लिए ) उन्होंने पेड़ो की ओट में खड़े होकर बाली पर तीर चलाया और उसे मार डाला। मरते समय बाली ने श्री राम जी से कहा "में बेगुनाह था, आपका कुछ नहीं बिगाड़ा था। अब इसका बदला आपको अगले जन्म में देना पड़ेगा। "
सो अगले जन्म में श्री राम जी श्री कृष्ण जी बने और बाली भील बना। जब कृष्ण महाराज महाभारत के युद्ध के बाद एक दिन जंगल में पैर पर पैर रख कर सो रहे थे , तो भील ने दूर से समझा की कोई हिरन है , क्युकि उनके पैर में पद्म का चिन्ह था जो धुप में चमक कर हिरन की आँख जैसा लग रहा था। उसने तीर-कमान उठाया और निशाना बांधकर तीर छोड़ा जो श्री कृष्ण जी को लगा। जब भील अपना शिकार उठाने के लिए पास आया तो उसे अपनी भयंकर भूल का पता चला। दोनों हाथ जोड़कर वह कृष्ण जी से अपने घोर पाप की क्षमा मांगने लगा। तब श्री कृष्ण जी ने उसे पिछले जन्म की घटना सुनाई और समझाया की इसमें उसका कोई दोष नहीं है , यह तो होना ही था . उन्हें अपने कर्मो का कर्जा चुकाना ही था।
सो कर्मो का कानून अटल है। कोई भी इससे बच नहीं सकता , अवतार भी नहीं अब कहिये जय श्री कृष्णा जय माता दी जी









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