सोमवार, 26 नवंबर 2012

बालस्वरूप कृष्ण भगवन By Sanjay Mehta Ludhiana








यशोदा मैया का वात्सल्य भाव था मेरा लाल मेरा बच्चा है उसे चोरी करने की आदत पड़ रही है, यह अच्छा नहीं है।।। अभी दही-माखन की चोरी कर रहा है, बड़ा होने पर फिर पैसे की चोरी करेगा तो? उन्होंने लाला से कहा - लाला! आज मै तुझे सजा दूँगी। ऊखल पर चढ़ कर चोरी की थी, उससे यशोदा माँ ने निश्चेय किया कि लाला को मै ऊखल से बाँध दूँगी। यशोदा मैया लाला को बाँधने गयी। वे तो बालकृष्ण को बच्चा ही मान रही थी। गोकुल में तो कृष्ण बालक बन कर ही रहे श्री कृष्ण परमात्मा है। यशोदा मैया श्री बाल कृष्ण को लाल रस्सी से बाँधने का यत्न कर ही रही है, पर ऐश्वर्या शक्ति मानती है की श्री कृष्ण मेरे पति है, मेरे पति को कोई बाँध रहा है। मुझसे देखा नहीं जाता। सहन नहीं हो सकता
इससे ऐश्वर्या शक्ति रस्सी में प्रविष्ट होती है। वह रस्सी को छोटी कर देती है। जिस रस्सी से यशोदा मैया श्री कृष्ण को बाँधने जाती है, वह रस्सी दो अंगुल छोटी पड़ती है। यशोदा मैया तीसरी रस्सी लेकर उसमे गाँठ लगाकर बाँध देती है, गोपी यशोदा मैया को समझाने लगती है - माँ आज तुम्हे क्या हो गया है? याद है, जब तुम्हारे पुत्र नहीं था, तब तुम रोती थी। तुमने अनेक देवों की मनौती मानी थी। तब कही यह पुत्र मिला है, सारे गाँव को यह प्राणों से भी अधिक प्यारा है। मेरे घर आकर वह अनेक बार उधम मचाता है। पर कभी भी उसे बाँधने का विचार मैंने नहीं किया है।। माँ! तुम्हे जरा भी दया नहीं आती क्या? यशोदा मैया आज आवेश में है
वे कहती है -- आप अपने घर जाइए मेरा लड़का है, मुझे जैसा उचित लगेगा, मै वैसा करुँगी। आपको चिंता , करने की जरूरत नहीं है, उसे बुरी आदते पड़ गई है। वह किसी की सुनता नहीं है, आज घर की सब रस्सी एकत्र करके भी मै इसे बांधुंगी . यशोदा जी रस्सी एकत्र करके लाला को बाँधने का प्रयत्न करती है, पर रस्सी दो अंगुल छोटी ही पड़ती है
श्री बाल कृष्ण मन में मुस्करा रहे है। मंद सिम्त उनके चेहरे पर है ..यशोदा मैया चिढती है, पांच साल का लड़का मुझ पर हंस रही है। कुछ हो, मै इसे अवश्य बांधुंगी। श्री बाल कृष्ण माँ को मना रहे है। 'माँ! अब मै कभी चोरी नहीं करूँगा। आज तू मुझे छोड़ दे।।
यशोदा माता कहती है - नहीं छोड्गी , मै तुम्हे बांधुंगी। यशोदा माता का दुराग्रह है, वैष्णव जब प्रेम से परमात्मा को बांधते है, तब यह माया के बंधन से छूटता है, यह जीव प्रेम से परमात्मा को जब तक नहीं बांधता तब तक माया इसे नहीं छोडती। तब तक माया जीव को बाँध कर रखती है। यशोदा जी को आज लाला को बांधना ही है।।
काल भी जिससे घबराता है, वह लाला आज डर रहा है, वह माता से कह रहा है माँ मुझे छोड़ दे। माँ कहती है - मै नहीं छोड्गी .. मै तुम्हे सजा दूँगी। लाला ने सोचा कि आँख में आंसू आ जाये और रोने लगु तो माँ को दया आ जाएगी और वह छोड़ देगी लाला ने रोने का यत्न किया। पर आँख से आंसू निकल ही नहीं रहे है। लाला आँखे मलने लगा। काजल आँख में लगा है, वही काजल कपोल पर आ गया। यशोदा माता देख रही है , आज मेरा बाल कृष्ण कैसा दीख रहा है। आज बहुत सुंदर दिखाई पड़ता है मेरा कान्हा।। भीतर प्रेम उमड़ रहा है, पर माता बहार थोडा नाटक करती है। लाला से कहती है - तू बहुत ऊधम मचाता है। बहुत नटखट हो गया है। आज मै तुझे बांधुंगी , तुझे सजा दूँगी।
तू झूठा है, तेरा रोना भी झूठा है। मै तुझे जानती हु, मै तेरी माँ हु। संजय मेहता कहता है - आपका वह बालस्वरूप अभी भी मेरी दृष्टि से दूर नहीं हो रहा भगवान् . आपका बालस्वरूप अति सुंदर है


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Sanjay Mehta









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