मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

सुनो सुनो बिनती माँ मेरी : Suno suno binti maa meri : Sanjay Mehta Ludhiana







तीर्थ राम गरीब था. उस का मन अमीरों के वैभव को देख कर तरसता रहता था. उसे अपनी झोपडी की जगह, हीरे जवाहरात से जड़ा सोने का महल चाहिए था. ऐसा महल जिस के लिए बड़े बड़े राजा महाराजा और सम्राट भी तरसते हो , अपनी इस इच्छा पूर्ति के लिए तीर्थ राम ने हर देवी देवता का दरवाजा खट-खटाया. पर अधूरी आस अधूरी ही रही. एक दिन उसे एक साधू महाराज मिले. उन्हों ने कहा. बेटा इस तरह तुम्हारी आस कभी पूरी नहीं होगी . माँ भगवती की भक्ति की ज्योत अपने हृदय में जगा. फिर देख माँ की भक्ति का चमत्कार. तीर्थ राम ने माँ भगवती को अपने हृदय मंदिर में बिठाया और आगे बड़ा . चलते चलते उसे एक सुनसान वन में एक बुढिय मिली और कहा, बेटा , क्यों वन वन भटक रहा है. तुझे जिस बेशकीमती खजाने की खोज है वो सहमने वाले पहाड़ के नीचे वाली गुफा में है. तू वहा पहुच जा. और जितने रतन उठा सकते हो उठा के ले जा. तीर्थ राम उस गुफा में पंहुचा , और चटान हटा कर गुफा मे गया .गुफा हीरे , रत्नों से भरी पड़ी थी. उसे अफ़सोस हुआ के वो अपने साथ बहुत सी झोलिय क्यों नहीं लाया. खैर अपने कपड़ो मे वो जितने हीरे -रत्न उठा सकता था उठाये. के एक जोरदार आवाज सुने दी. अचानक एक बड़ी सी चटान उप्पर से आई, और उस ने गुफा का द्वार बंध कर दिया. हवा रुक गई. और तीर्थ बिना हवा के गुफा में छटपटाने लगा. वो सोचने लगा अगर मेरा यहाँ दम घुट गया तो यह हीरे रत्न मेरे किस काम आयेंगे. इस से तो मे गरीब अच्छा था. कम से कम खुली हवा मे सांस तो लेता था. उसे साधू की देवी माँ की भक्ति की बात याद आई. और वो पुकार उठा.माँ शेरोवाली मेरे प्राण बचाओ माँ मेरे प्राण बचाओ , तीर्थ राम की आवाज दयालु माँ तक पहची, अचानक एक जोर की आवाज के साथ गुफा की चट्टान हटती है. हवा का एक झोंका आता है. और तीर्थ को वही बुढिय माँ शेरावाली के रूप मे मुस्कुराती हुई दिखाई देती है. तीर्थ राम दोड कर माँ के चरणों मे गिर जाता है और बेनती करता है



सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -2
मुझ को तू ठुकराना ना. भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

झर झर आँख से आंसू , रोता है मन मेरा
सारी दुनिया छोड़ के मैंने द्वार है ढूँढा तेरा
लाखो तुम ने तार दिए. बच्चो पे सुख वार दिए
मुझ को भी विसराना ना. भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

सत्य कर्म और धीरज मन का , तुझ से है सब लेना
खाली झोली तरस रही है, टाल ना मुझ को देना
दुःख सुख तेरे हाथो मे, कर दे उजाला रातो मे
करना कोई बहाना ना. भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

तेरे खजानों मे जग - जननी , तीन लोक की माया -२
सृष्टि के हर जीव ने तुझ से , जो माँगा सो पाया
मै भी खड़ा हु दर तेरे, दुःख संताप तू हर मेरे
और मुझे तरसना ना, भटके को भटकाना ना
सुनो सुनो , सुनो सुनो बिनती माँ मेरी -२

जय माता दी बोलो भगतो
जय माता दी
जय माता दी
जय माँ वैष्णो रानी की
जय माँ राज रानी की
जय जय माँ