हे साईं मुझसे पाप हुए है , सबसे कह ना पाऊ
हे साईं तू अन्तर्यामी, तुझसे कैसे छिपाऊ
दर्शन करने साईं , जब जब शिर्डी आया
मतलब से हर दर्शन तेरे, जाकर तुझको शीश झुकाया
मन दर्पण है मैला मेरा , कैसे आँख मिलाऊ...
हे साईं तू अन्तर्यामी, तुझसे कैसे छिपाऊ
आज तलक मै साईं. जगत मे, छोड़ सका ना माया
जीवन संध्या निकट है मेरे , निर्बल हो गई काया
साथ ना देती साँसे मेरी, नैनन नीर बहाऊ
हे साईं तू अन्तर्यामी, तुझसे कैसे छिपाऊ
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