ले के कावड ...
[ तर्ज: दिल के अरमा....]
ले के कावड हम तो घर से चल पड़े..
गंगाजी मे आके फिर हम जल भरे..
है मुसीबत रस्ते मे गम नहीं..
ले के भोला नाम हम तो चल पड़े..
ले के कावड ...
झोली खाली हे हमारी कर दया..
तेरे ही दर्शन को हम तो चल पड़े..
ले के कावड ...
सर पे गंगाजल चडाकर मांगेगे
बाबा दे दो भीख जो भी बन पड़े..
ले के कावड ...
तेरे दर पर आये हे, हम दूर से..
बाबा तेरी हर नजर हम पर पड़े..
ले के कावड ..
सोना चांदी, हीरा मोती कुछ नहीं...
ऐसा वर तो सर से दुःख सब टल जाए..
ले के कावड ...
धुप कितनी तेज़ हे तेरी राहों मे..
काश तेरी रहमतो का फल पड़े..
ले के कावड ...
Sanjay Mehta
Jai Mata Di G
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें