शनिवार की आरती
आरती कीजै नरसिंह कुवर की..
वेद विमल यश गाऊ मेरे प्रभु जी.. टेक..
पहली आरती पर्ह्लाद उबारे, हिरनाकुश नख उदर बिदारे...
दूसरी आरती वामन देवा, बलि की द्वारे पधारे हरिदेव..
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे, सहसबाहु के भुजा उखारे..
चोथी आरती असुर संहारे, भगत विभीषण लंक पधारे..
पांचवी आरती कंस पछारे, गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले..
तुलसी को पत्र कंठ गणी हीरा, हरषि निरखि गावे दास कबीर..
Sanjay Mehta
Jai Mata di G
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