ब्रेह्स्पतिवार की आरती जय जय आरती राम तुम्हारी राम दयालु भगत हितकारी.. टेक.. जनहित प्रगटे हरि व्रतधारी, जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पाली.. द्रुपदसुता का चीर बढायो.. .. गज के काज प्यादे धायो.. दश सिर छेदी बीस भुजा तोरे, तेतीस कोटि देव बंदी छोरे.. छत्र लिए कर लक्ष्मण भ्राता , आरती करत कोशलिया माता.. शुक शरद नारद मुनि ध्यावे, भरत शत्रुहन चवर झुरावे. .... राम के चरण गहे महावीर, ध्रुव प्रहलाद बालिसुत वीरा.. लंका जीती अवध हरि आये.. जब संतन मिली मंगल गए.. सीता सहित सिंहासन बैठे.. संजय मेहता आरती गाये.. Sanjay Mehta Jai Mata di G |
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