शुक्रवार की आरती
आरती लक्ष्मण बालजती की..
असुर संहारं प्राणपति की.. टेक...
जगत ज्योति अवधपुर राजै, शेषाचल पे आप विराजे..
घंटा ताल पखावज बाजे, कोटि देव मुनि आरती साजे ..
क्रीट मुकुट कर धनुष विराजे.. , तीन लोक जाकी शोभा राजे..
कंचन थाल कपूर सुहाई, आरती करत सुमित्रा माई..
आरती कीजै हरि की तैसी, ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसी..
प्रेम मग्न होय आरती गावे,, बसे बैकुंठ बहरि नही आवे..
भगति हेतु लाड लडावे, जन घनश्याम परम पद पावे
Sanjay Mehta
Jai Mata di G
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