रविवार की आरती
कह लगि आरती दास करेंगे..
सकल जगत जाकी ज्योति विराजे..
सात समुंदर जाके चरननि बसे,
कहा भयो जल कुम्भ भरे हो राम..
कोटि भानु जाके लख की शोभा,
कहा भयो मंदिर दीप धरे हो राम..
भार अठारह रोमावली जाके,
कहा भयो नैवेध धरे हो राम
छप्पन भोग जाके प्रितिदीन लागे
कहा भयो नैवेध धरे हो राम
अमित कोटि जाके बाजा बाजे
कहा भयो झंकार करे हो राम
चार वेद जाके मुख की शोभा..
कहा भयो ब्रेह्म्वेद पड़े हो राम..
शिव सनकादिक आदि ब्रेह्मदिक,
नारद मुनि जाको ध्यान धरे हो राम
हिम मंदार जाको पवन झकोरे,
कहा भयो शिर चवर ढुरे हो राम
लख चौरासी बंद छुडाये
केवल हरियश नामदेव गाये..
Sanjay Mehta
Jai Mata di G
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