बुधवार की आरती...
आरती युगल किशोर की कीजै
तन मन धन न्योछावर कीजै.. टेक..
गौर श्याम मुख निरखत रीझे
हरि को स्वरूप नयन भरि पीजे..
रवि शशि कोटि बदन की शोभा..
ताहि निरखि मेरा मन लोभा..
ओडे नील पीट पट सारी..
कुञ्ज बिहारी गिरवर धारी..
फूलन की सेज फूलन की माला,
रतन सिन्हान्सन बैठे नंदलाला..
मोरे मुकुट मुरली कर सोहे..
नटवर कल देखि मन मोहे..
कंचन थल कपूर की बाती..
हरि आये निर्मल भई छाती..
श्री पुर्शोतम गिरवरधारी,
आरती करे सकल ब्रजनारी..
नन्द नंदन वृषभानु किशोरी..
परमानंद स्वामी अविचल जोरी..
Sanjay Mehta
Jai Mata di G
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