जय अम्बे ब्रेह्म्चारनी माता
जय चतुर्णन प्रिय सुख दाता
ब्रह्मा जी के मन भाती हो
ज्ञान सभी को सिखलाती हो
ब्रह्म मन्त्र हो जाप तुम्हारा
जिस को जपे सकल संसारा
जय गायत्री वेद की माता
जो जन निस दिन तुम्हे ध्याता
कमी कोई रहने ना पाए
कोई भी दुःख सहने ना पाए
उसकी विरती रहे ठिकाने
जो तेरी महिमा को जाने
रुद्राक्ष की माला लेकर
जपे जो मन्त्र श्रधा देकर
आलस छोड़ करे गुनगाना
माँ तुम उसको सुख पौह्चना
ब्रेह्म्चारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम
'चमन' तेरे चरणों का पुजारी
रखना लाज मेरी महतारी संजय मेहता Sanjay Mehta
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