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बुधवार, 31 अक्टूबर 2012
माँ की इच्छा By Sanjay Mehta Ludhiana
वाराणसी में एक सज्जन थे, उनके गुरु एक सिद्ध पुरुष थे। जिनके आश्चर्यजनक "तमाशे" हमने स्वयं भी देखे-सुने है।। आज का पढ़ा लिखा व्यक्ति ऐसी घटनाओं को "तमाशा" ही कहता है। उनके पास जब कोई अपना बड़ा संकट लेकर आता था वे पसीज जाते, तब इतना ही कहते -"जाओ! माँ की इच्छा होगी वे करेंगी" और वह काम हो जाता
एक बार एक स्त्री अपने मरणासंन बालक को उठाकर उनके सामने रखकर रोने लगी, उनकी कातरता देखकर वह उद्विगं हो उठे और कह बैठे - "जाओ , यह ठीक हो जायेगा" वह स्त्री प्रसन्न -वदन अपने स्वस्थ बालक को लेकर चली गई पर महात्मा जी बहुत व्याकुल होकर तडपने लगे।। छटपटाने लगे।। उन्होंने कहा - "सदैव माँ की इच्छा से काम होता था। आज मै इतना अभिमानी हो गया की मेरी इच्छा से काम होने लगा मुझे धिक्कार है। अब मेरा कल्याण इसी में है कि मै संसार छोड़ दू।।।
बस , दो दिन के भीतर ही उनका शरीर शांत हो गया।।
जय माता दी जी
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Sanjay Mehta
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