रूप सिलौना मैया ब्रेह्म्चारिणी नवरात्रों में बहार बन आये।
करे सिजदे मंदिरों में जाकर तन-मन फूलो सा खिल जाए।।
सजाए प्रथम आरती की थाली ज्योत जलाए अभिलाषाओ की।
कहे व्यथा जो मन में तुम्हारे रहे ना बात निराशाओं की।।
करे चरणों में नमन बार बार मंजिल पथ का हो प्रदर्शन।
मिल जाये भंडार ज्ञान का कदम कदम चर्चो की गुंजन।।
श्रधा-पुष्प करे जो अर्पण-विपदा पल में टल जाये ।
रूप सिलौना मैया ब्रेह्म्चारिणी नवरात्रों में बहार बन आये।
करे सिजदे मंदिरों में जाकर तन-मन फूलो सा खिल जाए ।।
हजारो वर्ष किया निराहार तप-तीनो लोकों में हाहाकार मचा।
क्षीण काया देख हुई दुखी माता-कहे कैसा ये हाल रचा ।।
देवता, ऋषि, मुनि, सिद्धगण -हए तपस्या पर बहुत प्रसन्न ।
हुई सराहना, ब्रेह्म्चारिणी की महक उठी देह, ज्यू चन्दन।।
कमंडल , जपमाला, रूप सादगी-दर्शन करते ही मिल जाये ।
रूप सिलौना मैया ब्रेह्म्चारिणी नवरात्रों में बहार बन आये।
करे सिजदे मंदिरों में जाकर तन-मन फूलो सा खिल जाए ।।
"सभी भक्त" तेरे दर पे शीश झुकाए खड़े ।
रहमत मिल जाये जिसे तेरी-मिल जाए सुख बड़े बड़े ।।
तेरी पूजा, आराधना अर्चना से भक्तो को शक्ति मिले अपार।
हे ब्रेह्म्चारिणी!!! भटके जग को लगाओ भवसागर पार ।।
दो चरणों की भक्ति इनती देख देख लब सिल जाए ।
रूप सिलौना मैया ब्रेह्म्चारिणी नवरात्रों में बहार बन आये।
करे सिजदे मंदिरों में जाकर तन-मन फूलो सा खिल जाए ।।
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Sanjay Mehta
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