मैया शैलपुत्री!!!!!! धरती पे आओ ....
नव दुर्गाओ में प्रथम रूप मैया "शैलपुत्री" कहलाता है
नवरात्रों के पहले दिन इसी स्वरूप को पूजा जाता है।
नव दुर्गाओं में प्रथम रूप पूजा जाता है।।।
लाल झंडे लहराए मंदिरों पर - गूंजे घंटो की खनकार!!!
सच्ची श्रधा जिसके मन में --- देती माँ दर्शन साकार।।
मनोकामनाए हो पूर्ण साधक की खुशिया आँगन में आये
मिट जाये मन का अँधियारा- सुख-समृद्धि , धन-वैभव पाए!!!...
शैलपुत्री का सच्चा उपासक - सदा भाग्य पर इतराता है।।।
नव दुर्गाओं में प्रथम रूप पूजा जाता है।।।
पर्वतराज हिमालय की पुत्री-सवारी बैल की जिसे भाए !
दाहिने हाथ में त्रिशूल जिसके-कमल-पुष्प दूजे में लहराए!!
अर्धागिनी कहलाये भोले की -स्वर्ण मुकुट मस्तक विराजे!
चारो दिशाओ में दिव्या प्रकाश-स्वर्ग रूप से पर्वत साजे!!
"शैलपुत्री" का रूप मनमोहना - माँ के भक्तो को भाता है।।।
नव दुर्गाओं में प्रथम रूप पूजा जाता है।।।
"सभी भक्त" तेरी - सुबह शाम अर्चना करते है।।
गुणगान मैया लबो पे तेरा- तुझपे ही दम भरते है।।
मैया शैलपुत्री!!! धरती पे आओ - बिखरे जग का उद्धार करो।।
विपदाओं से घिरा हर इंसा- दानव - दैत्यों का संहार करो।।।
सुख-सम्पदा मिल जाए उसे - भक्ति का राग जगाता है।।
नव दुर्गाओं में प्रथम रूप पूजा जाता है।।।
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Sanjay Mehta
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