कथा सुनाऊ सबको मै पवन पुत्र बलवान की
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो हनुमान की
बालपन में बजरंगी ने अपना बाल दिखलाया
हुआ अँधेरा पृथ्वी पर तब इन्दर सामने आया
दे वरदान तब देवराज ने सूरज को छुड्वाया
सभी देवता करे बड़ाई बजरंगी बलवान की
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो हनुमान की
मात सिया की सुधि लेने अशोक वाटिका आये
भूख लगी जब बाग़ उजाड़े तोड़ - तोड़ फल खाए
खबर लगी रावण को तो पकड़ लीया बुलवाए
पूंछ में जिस दम आग लगाई लंका दई जलाए
मात सिया को दी अंगूठी यह निशानी श्री राम की
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो हनुमान की
पाताल पूरी में मकरध्वज ने आकर करी लड़ाई
अहिरावण को मरूँगा तू हट जा रे बलदाई
पेड़ के पीछे छिपकर के फिर खाए माल मिठाई
अहिरावण को मार के फिर देवी को बलि चढ़ाई
राम - लखन को संग में लाये खेल के बाजी जान की
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो हनुमान की
और सुनो फिर गद्दी पर बैठे एक दिन श्री राम
मोती की माला पहनाई मात सिया ने आन
इक - इक मोती तोड़ - तोड़ के फेंक दिए हनुमान
बोलो जिसमे राम नहीं उससे मेरा क्या काम
चीर दिखाया सीना है बैठे रघुवर जानकी
जय बोलो हनुमान की, जय बोलो हनुमान की
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3 टिप्पणियां:
कल 19/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जय बजरंगबली
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