कितनी ही बार दयानिधि ने , कितनी ही बार दयानिधि ने संसार को आ कर उबार लीया... जब जब धरती पर धर्म घटा... तब तब प्रभु ने अवतार लीया... करो हरी दर्शन...करो हरी दर्शन...करो हरी दर्शन... यह कहानी भयंकर काल है.. प्राचीन करोड़ो साल की है.. शंखासुर नाम का था दानव उस से डरते थे सुर मानव राक्षस था बड़ा विगत बल मे.. वेदों को चुरा कर गुसा जल मे.. फिर प्रभु ने मत्स्य रूप धारा.. पापी शंखासुर को मारा.. यह अमृत मंथन की है कथा.. सुर असुरो ने सागर को मथा .. डूबने लगा पर्वत जल मे.. खलबली मची भूमंडल मे.. तब हरी ने करूम अवतार लीया.. मंदराचल पीठ पर धार लीया.. हरी की लीला है अजब लोगो.. देखो अब दृश गजब लोगो धन्वन्तरी जन्मे समुंदर से.. अमृत ले आये वो अंदर से.. अमृत के लिए दानव झगडे.. पर प्रभु निकले सब से तगड़े.. तब प्रभु बने सुंदर नारी मोहिनी नाम की सुकुमारी तब मटक मटक के मोहनी डोली .. देत्या की बंध हुई बोली.. असुरो का आसन हिला दिया.. देवो को अमृत पिला दिया फिर प्रभु का परसु अवतार हुआ.. उन से धरती का सुधार हुआ.. सब नियम धर्म को ठीक किया.. जन जन का मन निर्भीक किया.. जन जन का मन निर्भीक किया.. अब सुनो भगत द्रुव की गाथा.. भगवन को झुका लो सब माथा... जब ध्रुव ने हरी दर्शन पाए.. तब उस के लोचन भर आये.. एक बाल भगत ने निराकार नारायण को साकार किया जब जब धरती पर धर्म घटा... तब तब प्रभु ने अवतार लीया... करो हरी दर्शन...करो हरी दर्शन...करो हरी दर्शन... जब ग्राह ने गज को पकड़ लीया.. उस के पैरो को जकड़ लीया तब चक्रपाणी पैदल दोड़े... आ कर उस के बंधन तोड़े.. और चक्र से ग्राह को संगरा पल मे गजराज को उधारा .. फिर परगट हुए नर नारायण. तपस्वी जग तरन उर्वशी भी देख विरक्त हुई.. अप्सरा भी हरी की भगत हुई.. तब काम भी रास्ता नाप गया.. और क्रोध भी मन मे कांप गया.. और क्रोध भी मन मे कांप गया.. हैग्रीव तपस्या करता था.. होने को अमर वो मरता था.. तब महामाया साकार हुई.. वर देने को तयार हुई.. दानव ने वचन यह उचारे.. केवल हैग्रीव ही मुझे मारे.. है शीश रूप हरी ने धारा.. और पापी राक्षस को मारा फिर हंस रूप मे हरी प्रगटे कल्याण हेतु श्री हरी प्रगटे भगवन ने सब को शिक्षा दी... पावन भगती की दीक्षा दी फिर जग मे यग भगवन आये.. पृथ्वी पर परिवर्तन लाये.. सब देव हवन से पुष्ट हुए . प्राणी समस्त संतुष्ट हुए.. फिर प्रभु कपिल अवतार बने.. सृष्टि के तारन हार बने.. अपनी माता को ज्ञान दिया.. जनता को सांख्य पर्दान किया.. फिर सनकादिक अवतार हुए.. वास्तव मे बालक चार हुए.. मत सोचो वो केवल बालक थे.. बड़े धर्म कर्म के पालक थे.. जय विजय को देकर श्राप बाल भगवन ने जग को तार दिया.. जब जब धरती पर धर्म घटा... तब तब प्रभु ने अवतार लीया... करो हरी दर्शन...करो हरी दर्शन...करो हरी दर्शन... Sanjay Mehta
Shri Narayan Hari Shri Vishnave namh...Thanks for awesome Art
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1 टिप्पणी:
Shri Narayan Hari Shri Vishnave namh...Thanks for awesome Art
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