रविवार, 15 जुलाई 2012

भक्ति ऍसी करो: Bhakti Esi Karo : By Sanjay Mehta Ludhiana









भक्ति ऍसी करो, प्रभु के साथ प्रेम इस रीति से करो की भगवान को तुम्हारा स्मरण हो, भगवान तुमको याद करे, श्री कृष्ण भगवान स्वधाम पधारे, तब उन्होंने विधुर जी को तीन बार याद किया था, भगवान जिसको अपना कहकर अपनावे, उसका बेडा पार है, परमात्मा किसी जीव से जल्दी नहीं कहते की तू मेरा है. ठाकुर जी परीक्षा करेंगे और पीछे कहेंगे कि तू मेरा है. जीव मंदिर में जाकर भगवान से कहता है कि अपना सर्वस्व तुमको अर्पण करता हु , भगवान मै तुम्हारा हु. पीछे घर में जाकर बच्चो कि माँ से कहेगा कि मै तो तेरा हु . भगवान कहते है. बेटा! तेरा सर्वस्व क्या है, वह मै जानता हु. मंदिर में जो भगवान का था, वह घर आने बाद बच्चो कि माँ का हो जाता है. जगत में जब तक यह जीव किसी दुसरे का होकर रहता है, तब तक वह भगवान का हो सकता नहीं, जो परमत्मा के सिवाए अन्य किसी का भी नहीं, उसको ही परमात्मा अपनाते है
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Sanjay Mehta








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