किये जा राम का सुमरन, अगर मुक्ति को पाना है
अरे बाबा! यह वह घर है, जो इक दिन छोड़ जाना है
लगा कर प्रीति विषयों से, जनम वृथा गवाता है
मिला अनमोल यह हीरा, जो फिर ना हाथ आता है
महल ना साथ जावेंगे, ना जावे बाग़ बागीचे
किसे ना संग जाना है, यह मतलब का जमाना है
तोड़ संसार के बंधन, लगा के प्रीति सिमरन मै
बिना भगवान के बन्दे , ना तेरा कोई ठिकाना है
Sanjay Mehta
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