लाल चुडिया चडाऊ, चुनरी गोटे वाली लाऊ चल के नंगे पाँव आऊ तेरे द्वार दातिये मुझ दासी का ..... मुझ दासी का भी करदे उद्दार दातिये , मुझ दासी का आ जा भोली - मैया तुझसा ना कोई खवैया कर दे मेरी नैया भव से पार दातिये मुझ दासी का मुझ दासी का भी करदे उद्दार दातिये , मुझ दासी का हुई गलतिय जो मुझसे माफ़ कर दे चोला गुनाहगार का ये साफ़ कर दे मेरी भूले बिसरा के, रहम थोडा बहुत खाके पास चरणों के बिठाके , दे दे प्यार दातिये इस दासी का .... खाली मुझे द्वार से ना मोडियो कभी डोरी विश्वास के ना तोडियो कभी आजा शेर पे माँ चढ़ के ले जा ऊँगली पकड़ के जाऊ दुखो से ना डरके हिमात हार दातिये मुझ दासी का .... तेरी माँ भंडारों मे ना आएगी कमी मुझको भी ज्योत की माँ दे दे रौशनी तुने सबकी लाज बचाई जिसने याद किया तू आई इतनी देर क्यों लगाई मेरी बार दातिये मुझ दासी का .... |
शनिवार, 8 जनवरी 2011
लाल चुडिया चडाऊ, चुनरी गोटे वाली लाऊ
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