यात्रा कथा
पवित्र गुफा लगभग 98 फुट लम्बी है, गुफा के भीतर व् बाहर कई अन्य सांकेतिक दर्शन भी है, मान्यता है कि सभी 33 करोड़ देवी-देवताओ ने इस गुफा में किसी ना किसी समय माता कि उपासना कि है व् अपने चिन्ह छोड़े है , यह भी माना जाता है कि प्रात: व् सायंकालीन पूजन व् आरती के समय देवी-देवता पवित्र गुफा में माता के वन्दना हेतु आते है
गुफा के मुख पर बाए हाथ की और वक्रतुंड श्री गणेश के दर्शन है, समीप ही सूर्य व् चन्द्रदेव के चिन्ह है, गुफा में प्रवेश करते ही भैरो नाथ का शीला रूपी धड आता है, भैरो नाथ के धड के पश्चात श्री हनुमान के दर्शन होते है व् उसी स्थान पर माता के पावन चरणों से होकर आती चरण गंगा कलकल बहती है.
इस स्थान के बाद यात्री को इसी चरणगंगा के जल में से होकर आगे बढ़ना होता है जहा से 23 फुट कि दुरी पर बाए हाथ पर उपर की और गुफा की छत मानो शेषनाग के असंख्य फनो पर टिकी नजर आती है, शेषनाग के फनो के नीचे माता का हवन कुंड व् उसके पास माता के शंख, चक्र, गदा व् पद्म के चिन्ह है, उसके उपर गुफा की छत को छूते हुए पांच पांडव, सप्त ऋषि , कामधेनु के थन, ब्रह्मा, विष्णु, महेश व् शिव पार्वती के चिन्ह है
Sanjay Mehta, Ludhiana
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हर विपदा मै मैया तू हुई सहाई है !!
फिर कैसे कहदें "माँ" ...पत्थर की माई है !!! जय माता दी !!
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