पहली भक्ति जान ले, संत जनों का संग
सत संगत से जीव पर चढ़े हरि का रंग
दूजी भक्ति कथा मे, श्रद्धा और विश्वास
हरि कथा मे रहे मग्न , सदा हरि का दास
गुरु चरणन की सेवा को , तीजी भक्ति जान
गुरु कृपा बिन जाए नहीं , मोह माया अज्ञान
चौथी भक्ति हरि के, गुण गाना दिन रात
हरि महिमा गुण गान से, सभी अमंगल जात
पंचम भक्ति नाम का, सवासो स्वास जप
सिमरन सम साधन नहीं , क्या तीर्थ क्या तप
छठी भक्ति विषयों से, सदा रहे वैराग
बहु कर्मो से रहे विरक्त, राम चरण अनुराग
राम रूप जन जान कर, सबसे करना प्रेम
सप्तम भक्ति है यही, भक्ति का ये नेम
आठवी भक्ति किसी के , जान पड़े ना दोष
सहज स्वभाव जो मिल जाये, ता मे हो संतोष
राम भरोसे रहने को, नवी भक्ति मान
नौ मे से इक भी मिल जाये,दया साईं की जान
अब बोलिए जय माता दी जी
बोलिए मेरी मैया वैष्णो रानी की जय
बोलिए मेरी मैया राज रानी की जय
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें