माता पिता के काँधे पे था कभी बचपन यह मेरा झुला
आज वो झूले काँधे पे मेरे चलू मे फुला फुला
आशाये इनकी पूरण करूँगा... प्राणों मे जब तक प्राण
काँधे पे कांवर ले के चला... अब क्यों ना करू घुमान
एक पलड़े मे लक्ष्मी जी सोहे.. दूजे मे है भगवान्
मेरे कांवर के भाग महान
मात पिता का नाम गूंजता पल पल जिसकी सांस मे
कोई ऐसा लाल बता दे.. दुनिया के इतिहास मे
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