शेर पे सवार मेरी शेरा वाली माँ
पहाडो मे बसी मेरी मेहरा वाली माँ
रूप है तेरे कई ज्योत वाली माँ
नाम है तेरे कई लाटा वाली मा
जगजननी है मेरी भोली भाली मा
मेरे नैनों की प्यास बुझा दे , मात मुझे दर्शन दे
अपने चरणों का दास बना ले , मात मुझे दर्शन दे
शेर पे सवार....
दयालु तू है माँ, क्षमा कर देती है
सभी कष्टों को माँ, तू हर लेती है
जैकारा शेरा वाली दा, बोल साचे दरबार की जय
तू ही जगजननी है, तू ही जगपालक है
चराचर की मैया, तू ही संचालक है
अपनी ज्योत मे मुझको समाले, मात मुझे दर्शन दे
मेरे नैनो की प्यास बुझा दे, मात मुझे दर्शन दे
शेर पे सवार....
दूर अब तुझसे माँ, मे ना रह पाउँगा...
प्यास तेरे दर्शन की माँ... अब ना सह पाउँगा...
जैकारा शेरवा वाली दा... बोल सांचे दरबार की जय
आसरा एक तेरा, बाकी सब सपना है
तेरे बिन है मैया कोई ना अपना है
मेरे पैरो मे पड़ गए छाले.. अब तो मुझे दर्शन दे
मात मुझे दर्शन दे
मेरे नैनो की प्यास बुझा दे.. मात मुझे दर्शन दे
अपने चरणों का दास बना ले .. मात मुझे दर्शन दे
शेर पे सवार ....
संजय मेहता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें