आहा! रे............आहा! रे.............
आहा! रे देखो रे ये नन्द का छोरा......
कितना सुन्दर, कितना प्यारा......
ठेर कदम्ब की छाया में ठाडो, यशुमति के नैनन का तारा.......
ओ..ऐसी बाँसुरी बजावे....ऐसी बाँसुरी बजावे, बरस परे रसधारा.......
ब्रज ब्रज की एक एक गोपी ने, इस पे अपना तन, मन वारा........
आहा! रे देखो रे ये नन्द का छोरा......
कितना सुन्दर, कितना प्यारा....
Sanjay Mehta
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