शाम साथो दूर ना, पर साडा वी कसूर ना...
देखन वाली अख जेह्डी उस विच नूर ना..
शाम मिलन दा डंग निराला.. सुनी जरा कन लाके..
सुनी जरा कन लाके.
ऐ नुस्खा तेनु बतलावा वरत ला इस नु जा के.. ओ वरत ला इस नु जा के
शाम साथो दूर ना, पर साडा वी कसूर ना...
भगति रुपी सुरमा लेके , लै खरल विच पाले ओ , लै खरल विच पा ले...
प्रेम दुपटिया नाल रगड़ के, खूब बरीक बना ले ओ ... खूब बरीक बना ले..
शाम साथो दूर ना, पर साडा वी कसूर ना...
दासी ने जद सुरमा पाया, हो गया उजाला , निकल गया अज्ञान दा पानी..
जद श्याम दा दर्शन पाया..
शाम साथो दूर ना, पर साडा वी कसूर ना...
Sanjay मेहता
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