पल ही पल मे क्या हो जाए, पता नहीं तकदीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
दशरथ के घर जय जय कार, सखिया गावे मंगलाचार
रामचंदर बनवास सिधाया, बाना किया था फ़कीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
अर्जुन ऐसा वीर था, लक्ष्य भेदी तीर था
द्रोपदी का चीर हरया जब, जोर चला नहीं तीर का
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
यूँ शिशुपालो बोलो वाणी , जाय परनुला रुकमनी रानी
कुन्नापुरी मे भूप ख्प्या वहां, जोर चला ना रणधीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
इश्वर की निराली शान, मत कर बन्दे तू अभिमान
कभी तो रुखा सुखा देवे, कभी तो भोजन खीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
गोविन्द राम हरि गुण गावे, सब गुणीजन को शीश नवावे ..
चेतन होकर रहना मुसाफिर, सुमिरन करो रघुवीर का..
मोह माया को छोड़ बन्दे, भजन करो रघुवीर का..
संजय मेहता
जय माता दी जी
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