संतो मे सबसे संत प्यारे चले गये श्री दण्डी स्वामी जी हमारे चले गये दुनिया ये कह रही है कि वाली चला गया सींचा था जिसने बाग़ वो माली चला गया इनके ही साथ सरे नजारे चले गये संतो मे सबसे संत प्यारे चले गये श्री दण्डी स्वामी जी हमारे चले गये तप मे ही स्वामी जी ने गुजारी थी जिन्दगी दिन रत रहे करते वो तो भजन बन्दगी तप के धनी वो रोशन मुनारे चले गये संतो मे सबसे संत प्यारे चले गये श्री दण्डी स्वामी जी हमारे चले गये इस दण्डधारी ने तो लुटाया प्यार हमेशा दिया सभी को नाम ही जपने का संदेशा सचमुच मे आज रहबर हमारे चले गये संतो मे सबसे संत प्यारे चले गये श्री दण्डी स्वामी जी हमारे चले गये हम भगतो को तेरे बिन अपनाएगा बता कौन रोते हुए को चुप भी कराएगा बता कौन जीवन के मेरे सचमुच सहारे चले गये संतो मे सबसे संत प्यारे चले गये श्री दण्डी स्वामी जी हमारे चले गये 24 अगस्त 1963 को सुबह 7 बज कर 20 मिनट पर पूज्य महाराज जी समाधिष्ठ अवस्था मे बैठे इसे बैठे कि फिर उस समाधि को खोला ही नहीं. उस श्री महाराज जी ने साकार रूप को त्याग कर निराकार रूप को अपना लिया उस समय श्री महाराज कि आयु 134 वर्ष 3 महीने थी
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