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शनिवार, 6 जुलाई 2013
सती शाण्डिली : Sati Shandili : Sanjay Mehta Ludhiana
सती शाण्डिली
अत्यन्त प्राचीन काल में कौशिक नामक एक अत्यन्त क्रोधी, निष्ठुर और कोढ़ी ब्राह्मण था जिसकी पत्नी पतिव्रता और निष्ठावती थी . वह सुशीला स्त्री अपने बीभत्स रूपवाले पति को ही सर्वश्रेष्ठ देवता समझती थी . एक बार रात के समय अपने पति को कंधे पर वह कही ले जा रही थी, रस्ते में माण्डव्य ऋषि ने उसके पैर का धक्का लग जाने पर शाप दिया की यह पुरुष सूर्य उगते ही मर जाएगा … पतिव्रता ने कहा -''अच्छा , यदि इसी बात है तो जब तक मै नहीं कहूँगी तब तक सूर्य उगेगा ही नही । बात भी ऐसी ही हुई . पतिव्रता के वचन कभी असत्य हो ही नहीं सक्ते. सूर्यदेव की गति रुक गई . सूर्य दस दिन तक नहीं उगे. इस पर समस्त ब्रह्माण्ड में हलचल मच गई .
सब देवताओं ने जाकर प्रसिद्ध सती अत्रि पत्नी अनसुयाको प्रसन्न किया अनसूया शाण्डिली के पास गई और उसको सूर्यादय होने देने के लिए यह कहकर राजी किया की 'तुम्हारे पति के प्राण-त्याग करते ही मै अपने पातिव्रत से उन्हें जीवित और स्वस्थ कर दूँगी.' आधी रात को अर्ध्य उठाकर सूर्य का उपस्थान किया गया . पतिव्रत से आज्ञा पाकर खिले हुए रक्त कमल की तरह लाल-लाल सूर्य भगवान का बड़ा मंडल हिमालय पर्वत की चोटी पर उदय होने के लिए आया
इसी के साथ पतिव्रता शाण्डिली का पति कौशिक प्राणरहित होकर पृथ्वी पर गिर पड़े . उस समय अनसूया ने जो वचन करे वे चिरस्मरणीय है
'यदि पति के समान दुसरे पुरुष को मैंने कभी ना देखा हो तो मेरे इस सत्य के प्रभाव से यह ब्राह्मण रोग से मुक्त हो जाए . यह फिर युवा हो जाये और पत्नीसहित सौ वर्ष जिये. यदि पति के समान और किसी देवता को मै नहीं मानती तो इस सत्य के प्रभाव से यह ब्राह्मण रोगरहित होकर जी जाये। यदि मै सदा मन, वचन और कर्म से पति की आराधना में ही लगी रहती हु तो मेरी इस पति भक्ति के प्रभाव से यह ब्राह्मण फिर जीवित हो जाये'
ब्राह्मण रोगरहित और युवा होकर उठ खड़ा हुआ और अपनी प्रभा से अजर और अमर देवता की तरह गृह को प्रकाशमान करने लगा। शाण्डिली और अनसूया के पातिव्रत - धर्म की महिमा विश्व में फ़ैल गयी .
रावन-सरीखे महायोद्धा को अपने तेज से कंपा देना, यमराज को जीतकर पति के सूक्ष्म शरीर को लौटा लाना, ब्रह्मा,विष्णु, महेश को लीला से ही बच्चे बना देना, तेज से ही पापी व्याधा को भस्म कर डालना और सूर्य को उदय होने से रोक देना - भारतीय पतिव्रतधर्मपरायणा देवियों के लिए ही सम्भव थ. हाय! आज नारी शक्ति इसी पातिव्रत-धर्म को भूलकर श्रीहत हो रही है. और इसी में उन्नति मानी जाती है.
जय सीता मैया जी की . जय माता दी जी की
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Sanjay Mehta
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